मुस्लिम फ़क़ीर साई बाबा (मुलनिवासी) ने चलाया था ब्राह्माणवाद के खिलाफ लड़ाई - मनुवादी उसे भगवान बना दिया

साई बाबा के हर मंदिर मे ब्राह्मण हे क्यू पुजारी बनता है..सोशियल मीडीया मे हार ब्राह्मणवाडी लोग साई बाबा के मुस्लिम होने के दावा करता है.. साई मंदिर के धनराशि मे ब्राह्मानो का कोई हक़ नही है..जीतने किलो सोना चाँदी है वो सब मुलनिवासी के विच बाँट देना चाईए..
मनुवादी के खिलाफ जो भी लड़ाई की है उसे पहले मरके उसके मंदिर बनके भगवान बना देता है, फिर मंदिर से पैसे कमाते है,,जैसे गौतम बौध ने ब्राह्मानो के खिलाफ लड़ाई की तो बौध को विसनु के अवतार बना दिया..और दलाई लामा मोहन भागवत के साथ मलाई खा रहा है

फ़ेसबुक से हमारा टीम ने उन सभी ब्राह्मानो के आंटी साई बाबा पोस्ट के स्क्रीन शॉट कलेक्ट किया..आब आप हे सोचो क्या ब्राह्मानो का कोई अधिकार है साई बाबा के मंदिर मे पुजारी बनने का???







१ : साई बाबा सारा जीवन मस्जिद मे रहे 
एक भी रात उन्होने किसी हिंदू मंदिर मे नही गुज़ारी 
२ : अल्लाह मालिक सदा उनके ज़ुबान पर था वो सदा अल्लाह मालिक पुकारते रहते 
 ३ : रोहीला मुसलमान आठों प्रहार अपनी कर्कश आवाज़ मे क़ुरान शरीफ की कल्मे पढ़ता और अल्लाह ओ अकबर के नारे लगाता परेशान होकर जब गाँव वालो ने बाबा से उसकी शिकायत की तो बाबा ने गाँव वालों को भगा दिया .( अध्याय ३ पेज ५ )
४ : तरुण फ़क़ीर को उतरते देख म्हलसापति ने उन्हे सर्व प्रथम " आओ साई " कहकर पुकारा .(अध्याय५ पेज २ )
नोट : मौला साई मुस्लिम फ़क़ीर थे और फ़क़िरो को अरबी और उर्दू मे साई नाम से पुकारा जाता है .साई शब्द मूल रूप से हिन्दी नही है
५ : मौला साई हमेशा कफनी पहनते थे .(अध्याय ५ पेज ६ )
नोट : कफनी एक प्रकार का पहनावा है जो मुस्लिम फ़क़ीर पहनते हैं
६ : मौला साई सुन्नत(ख़तना) कराने के पक्ष मे थे . (अध्याय ७ पेज १ )
७ : फ़क़िरो के संग बाबा माँस और मछली का सेवन भी कर लेते थे .(अध्यया ७ पेज २)
८ : बाबा ने कहा "" मैं मस्जिद मे एक बकरा हलाल करने वाला हूँ हाज़ी सिधिक से पूछो की उसे क्या रुचिकर होगा बकरे का माँस ,नाध या अंडकोष " (अध्याय ११ पेज ४ )
नोट : हिंदू संत कभी स्वपन मे भी बकरा हलाल नही कर सकता .न ही ऐसे वीभत्स भोजन खा सकता है
९ : एक बार मस्जिद मे एक बकरा बलि चढाने लाया गया तब साई बाबा ने काका साहेब से कहा "" मैं स्वयं ही बलि चढाने का कार्य करूँगा "(अध्याय २३ पेज ६)
नोट : हिंदू संत कभी ऐसा जघ्न्य कृत्य नही कर सकते .
१०: बाबा के पास जो भी दक्षिणा एकत्रित होती उसमे से रोज पचास रुपये वो पीर मोहम्म्द को देते. जब वो लौटते तो बाबा भी सौ कदम तक उनके साथ जाते .(अध्याय २३ पेज ५ )
नोट : मौला साई इतना सम्मान कभी किसी हिंदू संत को नही देते थे .रोज पचास रुपये वो उस समय देते थे जब बीस रुपया तोला सोना मिलता था .मौला साई के जीवन काल में उनके पास इतना दान आता था आयकर विभाग की जाँच भी हुई थी
११ : एक बार बाबा के भक्त मेघा ने उन्हे गंगा जल से स्नान कराने की सोचा तो बाबा ने कहा मुझे इस झंझट से दूर ही रहने दो .मैं तो एक फ़क़ीर हूँ मुझे गंगाजल से क्या प्रायोजन .(अध्याय २८ पेज ७ )
नोट : किसी हिंदू के लिए गंगा स्नान जीवन भर का सपना होता है .गंगा जल का दर्शन भी हिंदुओं मे अति पवित्र माना जाता है
१२ : कभी बाबा मीठे चावल बनाते और कभी माँस मिश्रित चावल (पुलाव )बनाते थे (अध्याय ३८ पेज २)
नोट : माँस मिश्रित चावल अर्थात मटन बिरयानी सिर्फ़ मुस्लिम फ़क़ीर ही खा सकता हैं कोई हिंदू संत उसे देखना भी पसंद नही करेगा .
१३ : एक एकादशी को बाबा ने दादा केलकर को कुछ रुपये देकर कुछ माँस खरीद कर लाने को कहा (अध्याय३८ पेज३ )
नोट : एकादशी हिंदुओं का सबसे पवित्र उपवास का दिन होता है कई घरो मे इस दिन चावल तक नही पकता .
१४ : जब भोजन तैयार हो जाता तो बाबा मस्जिद से बर्तन मंगाकर मौलवीसे फातिहा पढ़ने को कहते थे(अध्याय ३८ पेज ३)
नोट : फातिहा मुस्लिम धर्म का संस्कार है
१५ : एक बार बाबा ने दादा केलकर को माँस मिश्रित पुलाव चख कर देखने को कहा .केलकर ने मुँहदेखी कह दिया कि अच्छा है .तब बाबा ने केलकर की बाँह
पकड़ी और बलपूर्वक बर्तन मे डालकर बोले थोड़ा सा इसमे से निकालो अपना कट्टरपन छोड़कर चख कर देखो (अध्याय ३८ पेज४ )
नोट : मौला साई ने परीक्षा लेने के नाम पर जीव हत्या कर एक ब्राहमण का धर्म भ्रष्ट कर दिया किंतु कभी अपने किसी मुस्लिम भक्त की ऐसी कठोर परीक्षा नही ली।
⚔⚔आज़ाद सेवा संघ रजि⚔⚔

स्वयं को क्षत्रिय माननेवाले यादव मुख्यमंत्री का बंगला शुद्धिकरण करेगा ब्राम्हण बीजेपी

*जो ओबीसी, एससी, एसटी का बहुजन समाज इस घमंड मे जी रहे है कि हमारी आबादी ज्यादा है और इसे कोई नही मिटा सकता, मै उन्हें ये कहना चाहूँगा की सिर्फ दो मिनट का समय निकाल कर मेरे इस पोस्ट को पढ़ें, और इसको अपनी आम ज़िन्दगी में अमल करें।*
*मैं आपका भाई आप का बेटा आपका सुभचिन्तक अनुराग यादव अतुल -जिला सचिव समाजवादी छात्रसभा-मऊ,मो० 9452655225,ईमेलः atulyadav1996@gmail.com*
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आखिर न्यायालय से ओबीसी क्यों मिट गया ?
🌪"संविधान " जो बाबा साहब अंबेडकर ने अपने बहुजनो के लिए बनाया आज उसकी हिफाजत के लिए आज वहाँ एक भी "बहुजन" नहीं बचा l
"आरक्षण " जिसका विवरण संविधान में है, जहां की राज बहुजन समाज का होना चाहिए आज उन जगहो को प्राइवेट कंपनियो को बेचा जा चुका है, और वहाँ आज एक भी बहुजन नहीं बचा l


"सचिवालय " जहां डा लोहिया ने ओबीसी, एससी, एसटी के हकदारी के लिए जी जान लगा दी आज वॅहा एक भी सचिव "ओबीसी, एससी, एसटी" नही है
"खेती मे " में 40 साल पहले तक 90% लोग करना चाहते थे, आज सिर्फ 10% बचे हैं l क्यों कि खेती पर निर्भर रहने वाली बड़ी आबादी ओबीसी वर्ग था!!
"मिडिया जगत " में जातिवाद का हालत यह है कि ओबीसी- एससी- एसटी को घुसने तक नही दिया जा रहा है!!
"देश " में बहुजनो की आबादी 85% है मगर देश के कैबिनेट मंत्रालय मे 1% भी नही है!!
"न्यायालय " मे 90% केस ओबीसी- एससी- एसटी के है मगर 1% वकिल और जज ओबीसी, एससी, एसटी के नही है!!
मित्रों, विश्वविद्यालय, विद्यालय, मे 85% बच्चे ओबीसी- एससी- एसटी के है मगर 1% डीन, वीसी, प्रोफेसर, लेक्चरर, ओबीसी- एससी- एसटी के नही है!!
देश के इकोनॉमी को 85% टैक्स आप ओबीसी- एससी- एसटी देते हो मगर मजा 3% आबादी वाला धूर्त और चालाक उठा रहा है!!
आपके पैसे को लूटकर देश के चंद लोग खा रहे है सरकार
मध्यस्थता कर रही है!!
हमेशा हिंदू के नाम पर वोट की की भीख मांगने वाले ……
जब ओबीसी- एससी- एसटी के हक और प्रतिनिधित्व की बात करो तो आप पर जातिवाद का आरोप लगाता है!!
29 राज्य है भारत के और ओबीसी- एससी- एसटी की आबादी के 25 राज्यो मे 85% से उपर है मगर केवल 5 सीएम ओबीसी - एससी- एसटी है!!
और "बहुजनो" का एक मात्र देश भारत ही अब "बहुजनो" के लिए सुरक्षित नहीं रहा l
मैंने 10 लोगों को जो कि ओबीसी- एससी- एसटी हैं, उनसे पूछा कि किस जाति के हो ?
सभी ने अलग - अलग जवाब दिया……
किसी ने कहा यादव …
किसी ने कहा पटेल …
किसी ने कहा कोईरी …
किसी ने कोहार कहा …
तो किसी ने पाल …… सब लोगों ने अलग - अलग बताया l
लेकिन मैंने 10 ब्राह्मणो से पूछा कि कौन सी जाति के हो ?
सभी का एक जवाब आया…… "ब्राह्मण "
मुझे बड़ा अजीब लगा, मैंने फिर से पूछा, फिर वही जवाब आया…… "ब्राह्मण "
तब मुझे बहुत अफसोस हुआ, और लगा हम कितने अलग और वो कितने एक……
भारत ओबीसी- एससी- एसटी का है और हम सब भारतीय और भारत के हर संसाधन पर हमारा हक होना चाहिए!!
और अगर आप को "भारतीय " होने का गर्व करते हो तो इस मैसेज को इतना फैला दो यह मैसेज मुझे वापस किसी भारतीय से ही मिले l
दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में एक ओबीसी भाई ने जनहित याचिका डाली थी कि मंदिर मे एक ही जाति का मठाधीश और पूजारी क्यो होता है l
सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका रिजेक्ट करते हुये कहा कि "वेद " और "पूराण " के हिसाब से मंदिर पर हक ब्राह्मण का ही है क्योकि फैसला सुनाने वाला जज ब्राह्मण ही था!!
यदि योग्यता और बराबरी का हक वेद और पुराण के खिलाफ है, माननीय सुप्रीम कोर्ट के हिसाब से भारत मे बराबरी अौर संविधान की बात हराम है!!
क्या नेता इस पर कुछ टिप्पणी देंगे ?
अजीब कानून है भैया……
अपने पैसे के लिए देश लाइन मे लगा है!!
जनता का पैसा खाने वाला माल्या पंच सितारा मे पड़ा है ……
ये जो नीचे लिखा है वो कोई मज़ाक नहीं है, कल ये आपके शहर में भी हो सकता है l
अगर ये किसी ओबीसी, एससी, एसटी, किसान लेकर भागा होता तो इन जातिवादी मिडिया वाले आपको पकड़कर तिहाड़ मे डाल दिए होते!!
कुछ दिन पहले जी न्यूज के सुधीर चौधरी ने सपा के सुनील कुमार सर से तल्ख़ मुद्रा में पूछा था कि अगर देश में ब्राह्मण ज्यादा हर पद पर हो जायेंगें तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा ?
इसका एक प्रायोगिक उत्तर कल के एक वाकये ने दिया l
बीजेपी के शासित गुजरात मे "दलित " को इसलिए गाड़ी मे बाँधकर मारा गया कि वह उनके मरे हुए गाय को नही उठाया!!
और उन्होंने उनके पेशाब को पीने से मना कर दिया!!
मगर उन पर इस अत्याचार की कारवाई तक नही हुई वो फिर अपना अत्याचार फैला रहे है क्योकि
गुंडा भी वही है
थाने का पुलिस
थाने का दलाल
एसपी-कलेक्टर
आगे बढो तो
वकिल और नेता
यॅहा तक की जज
भी उनके जाति का है!!
आरएसएस का हालत यह है कि जो वोट के लिए हिंदू धर्म का सहारा लेता है लेकिन जब देश के 85% हिंदुओ ने आरक्षण के लिए आंदोलन किया तो उन्हे गोलियो से भून दिया!!
और जब भारत को आजादी मिली तो तिरंगे को जलाया
तिरंगे से उनकी नफरत और जय हिन्द पर आपत्ति इस सबका कारण थी l
पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया लेकिन वो सब एक जाति के थे प्रशासन ने जातिवाद दिखाया उनको छोड़ दिया गया l
ध्यान रहे वो अनपढ़ लोग नहीं, वो पैदाइशी चालाक थे और आजभी है l
हाथ जोड़ के विनती है, इसे शेयर करें ये कोई छोटी खबर नहीं है l
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*एकता में ही ताक़त है*
इसको समझीये आप लोग
अभी जब यूपी में 56 SDM कि फ़र्ज़ी खबर मीडिया और सोशल मीडिया में उड़ी तो विशेष जाति के लोग बौखला गए थे। चूँकि मामला यादवों से जुड़ा था, इसलिए अन्य जातियां भी हर तरीके से इनके साथ थी। क्योंकि यादव विरोध पर मैंने अब तक सबको एक झन्डे तले पाया है। अब 110 के करीब ब्राह्मण उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में चयनित हुए है। कोई शोर- शराबा नहीं है, सब खामोश है। मतलब ब्राह्मण अधिकारी सर्वमान्य है। अगर यादव बनता है, तो पिछड़े और दलित भी विरोध में आ जाते है। मुझे पिछड़ों और दलितों की स्थिति उस कटी पतंग के माफिक लगती है जिसके पाने के लिए पीछे सब दौड़ते है और नहीं मिलने पर फाड़ देते है। कुछ ऐसी ही स्थिति पिछड़ों की प्रतीत होती है।
जब अनिल यादव लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष थे, तब इलाहबाद की सड़कों पर बड़ा हंगामा हुआ था। जुलुस निकाले गए थे, तोड़ फोड़ की गयी थी, और समूचे यादव समुदाय को गालियाँ दी गयी थी। उपद्रवी यहीं नहीं रुके उन्होंने गाय बैल तक को डण्डों से पीटा था, क्योंकि वो यादवों से जुड़े थे। रातो – रातों – रात ‘लोक सेवा आयोग’ को ‘यादव सेवा आयोग’ लिख दिया गया। अब मिश्रा सचिव है और 110 ब्राह्मण चयनित हुए है। लेकिन आयोग ‘ब्राह्मण लोक सेवा आयोग’ नहीं हुआ।
मैं कल्पना कर सकता हूँ जब यूपी या बिहार में पहला डीएम बना होगा तब लोगों की क्या प्रतिक्रिया रही होगी? क्या प्रतिक्रिया रही होगी जब बिहार में लालू ने पिछड़ों और शोषितो का परचम लहराया होगा? या उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह ने समाजवाद का आगाज़ किया होगा?आप आकलन कर सकते है कि चारा घोटाला जगन्नाथ मिश्र के समय शुरू हुआ और लालू यादव पर भी दोष सिद्ध हुआ पर सात समुन्दर पार तक लालू चारा चोर है, जबकि असली चोर जगन्नाथ मिश्रा को कोई जानता तक नहीं। आप दिमाग पर जोर डालेंगे तो इनके षड्यंत्रों को बखूबी समझ जाएंगे। ये वो लोग है जो किसी भी कीमत पर आपको सत्ता के केन्द्र में नहीं देखना चाहते, ‘आरक्षण’ तो बहाना मात्र है।
अगर यादव सत्ता में आये तो सत्ता का ‘यादवीकरण’ हो जाता है। क्यों जनाब? अस्सी फीसदी ब्राह्मणों को ढो रही संसद का आज तक ‘ब्राह्मणीकरण’ नहीं हुआ? साठ फीसदी से अधिक ब्राह्मणों को झेल रहे इन आयोगों का ‘ब्राह्मणीकरण’ क्यों नहीं हुआ आज तक? न्यायालयों में अस्सी फीसदी से अधिक ब्राह्मण होने के बावजूद न्यायालयों का ‘ब्राह्मणीकरण’ क्यों नहीं हुआ आज तक?जबकि वीरेंदर सिंह के चुनते ही लोकायुक्त का ‘यादवीकरण’ हो गया था।देश के इन तमाम मन्दिरों का ‘ब्राह्मणीकरण’ क्यों नहीं हुआ? जहाँ की सदियों से ब्राह्मणों की सौ फीसदी भागीदारी है।
मुझे मालूम है कि इसका कोई उत्तर नहीं मिलेगा, पर पिछड़ों को इस साजिश को समझना होगा और अपने हकों के लिए एकजुट होना होगा।
किसी ऊंचे पद पर अगर एक यादव के बाद दुसरा यादव आ जाए तो भारत का ब्राह्मणी मिडिया इसे “यादववाद” मान लेता है। किसी ऊँचे पद पर एक दलित अफसर के बाद दूसरा दलित अफसर आ जाए तो भारत का ब्राह्मणी मीडिया इसे “दलितवाद” घोषित कर देता है। लेकिन अगर एक के बाद एक दर्जन या सैकड़ों ब्राह्मण अफसर भी आ जाएँ तो भारत का ब्राह्मणी मीडिया उसे “ब्राह्मणवाद” नहीं बल्की “मेरिट” मानता है।

यह कड़वा सत्य दवा की तरह लगेगा।
ओबीसी के विरोध में हो रहे षडयंत्र कि जानकारी ओबीसी के जागृत लोगों को नहीं है
ओबीसी के लोग तो लिखे पढे लोग है
जो ब्राह्मणों नें लिखा वही पढा
इसलिए आज उनके हक अधिकार ब्राहमणी तंञ दवारा छिन लिए गयें है
संविधान कहता है कि आरक्षण (प्रतिनिधित्व )
जनसंख्या के अनुपात में शासन प्रशासन में भागीदारी है
ब्राह्मण कहते हैं यह खेरात है
ओबीसी के लिखे पढे लोगों नें बाबा साहब दवारा लिखा संविधान ब्राह्मणों कि बातों में आकर पढा ही नहीं
इसलिए आज यह हालात है कि
1)52% ओबीसी को 27% आरक्षण (प्रतिनिधित्व ) है
जबकि यह संविधान के विरोध में है
संविधान कहता है लोकतंत्र में जनसंख्या के हिसाब से प्रतिनिधित्व लोकतंत्र का प्राण है
इसलिए भारतीय लोकतंत्र में ओबीसी कि 52% शासन प्रशासन में भागीदारी होनी चाहिए
परन्तु आज आजादी के सत्तर साल बाद ब्राह्मणवादी सरकारों नें इसका non-implementation किया ओर जो हक अधिकार SC/ST को 1932 में ही मिल गये थे वह हक अधिकार ब्राह्मणों नें ओबीसी को 1992 मतलब साठ साल बाद मिले
उसमें भी असंवैधानिक क्रिमीलेयर लगा कर ओबीसी के लोगों के साथ षडयंत्र किया और आज ओबीसी का शासन प्रशासन में केवल 5% प्रतिनिधित्व है
आज ओबीसी का grade A & B कि सर्विसेज में सही प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण बडे लेवल पर धिरे धिरे ओबीसी कि समस्याओं का निर्माण राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है
यह ओबीसी के लिखे पढे लोगों को समझ नहीं आता है
ब्राह्मणों नें हिन्दुत्व के नाम पर ब्राह्मणों का राज स्थापित किया
ओबीसी को रोज नये नये षडयंत्र करके ओबीसी के लिखे पढे लोगों को हिन्दु बनाया
और सारे हक अधिकार छिन कर देश कि
विधायिका
कार्यपालिका
न्यायपालिका
और मिडिया परकब्जा किया
और अब कहते हैं
यह हिन्दु धर्म नहीं है परम्परा है
मतलब यह परम्परा मनुस्मृति अनुसार ब्राह्मण धर्म है
और ब्राह्मण धर्म का विधान लागू किया
और शुद्रों के सारे हक अधिकार छिने
यह है हकिकत
अब ओबीसी के लिखे पढे लोगों से निवेदन है कि वह ब्राह्मणों के दवारा हिन्दु नाम के षडयंत्र से बाहर निकलें
अपने आसपास नजर दोडायें
स्वतंत्र सोच रखकर संविधान में दिये आर्टिकल 340 को समझें
काका कालेलकर कमीशन क्या था वह जाने
काका कालेलकर कमीशन क्यों लागू नहीं हुआ वह जानें
मंडल कमीशन क्या है वह समझें
मंडल कमीशन क्यों इतने बरसों तक लागू नहीं हुआ वह जानने कि कोशिश करें
ओबीसी को जब मंडल कमीशन लागू हो रहा था तो उसके विरोध में किन लोगों नें राष्ट्रीय लेवल पर विरोध किया उनको जाने समझें
फिर भले ही भाईचारा निभाना
ओबीसी को प्रतिनिधित्व SC/ST कि तरह ही मिला है
वही संविधान है
वही कानून है फिर SC/ST कि जनसंख्या तो 22% है
SC/ST को 22% प्रतिनिधित्व है
परन्तु ओबीसी कि जनसंख्या 52% है
52% ओबीसी को 52% प्रतिनिधित्व क्यों नहीं है
उसमें भी षडयंत्र करके असंवैधानिक क्रिमीलेयर लगा दी
वह संविधान के विरोध में है
क्योंकि यह प्रतिनिधित्व का अधिकार मौलिक अधिकार है वह शासन प्रशासन में SC/ST/OBC को सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन कि वजह से मिला है ना कि आर्थिक पिछड़े पन कि वजह से
1992 में मंडल कमीशन लागू होने के बाद भी उसका non- implementation किया ओर आज ओबीसी को आज 2016 तक 52% होने के बावजूद 5% ही प्रतिनिधित्व मिला है तो ओबीसी को यह समझना जरूरी है कि शासन प्रशासन किन लोगों के कब्जे में है
कोन लोग ओबीसी के लोगों के हक अधिकार छिन रहा है
इसलिए ओबीसी के लिखे पढे लोगों से निवेदन है कि ब्राह्मणों के हिन्दू नाम के षडयंत्र से निकल कर पढे लिखे बनें
स्वतंत्र सोच विकसित करें व आपकी आनेवाली पिढियो को इस षडयंत्र मे ना झोंके
ओर उनके हक अधिकार सुरक्षित करने कि लड़ाई लडें
यह लिंक पर जो विडियो है उसको यु-टयूब पर जाकर देखें यह ओबीसी के विरोध में हो रहे षडयंत्र को बताता है
देखने के बाद
पढने के बाद भी समझ नहीं आये तो ओबीसी के लोगों से निवेदन है कि कम से कम एक हजार लोगों को भेजें शायद किसी जागरूक को समझ आये 🙏
*ब्राह्मण जज पर रोक*
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*कलकत्ता हाईकोर्ट में ब्रिटिश काल में प्रीवी काउन्सिल हुआ करती थी। अंग्रेजों ने नियम बनाया था कि कोई भी ब्राह्मण प्रीवी काउन्सिल का चेयरमैन नहीं बन सकता। क्यों नहीं हो सकता? अंग्रेजों ने लिखा है कि ब्राह्मणों के पास न्यायिक चरित्र नहीं होता है। न्यायिक चरित्र का मतलब है निष्पक्षता का भाव। अर्थात निष्पक्ष रहकर जब एक न्यायाधीश दोनों पक्षों की दलीलें सुनता है, सभी दस्तावेजों को देख कर कानून और न्याय के सिद्धान्त के अनुसार अपनी मनमानी न करते हुए जो सही है उसे न्याय दे, उसे न्यायिक चरित्र कहते है। ऐसा न्यायिक चरित्र ब्राह्मणों में नहीं है, यह अंग्रेजों का कहना था। आज की तारीख में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लगभग 600 न्यायाधीश हैं, उनमें 582 न्यायाधिशों की सीटें ब्राह्मण तथा ऊँची जाति के लोगों के कब्जे में हैं। जब तक न्यायपालिका को प्रतिनिधिक नहीं बनाया जाता, तब तक हमें न्याय मिलने वाला नहीं है। इसलिए न्यायपालिका को प्रतिनिधिक बनाने की आवश्यकता है।*
*भारत की न्यायपालिका पर हिन्दुओ का नहीं बल्कि ब्राह्मणों का कब्जा है, और ब्रिटिश लोग कहते थे कि, *"BRAHMINS DON'T HAVE A JUDICIAL CHARACTER"*. *यानी "ब्राह्मण का चरित्र न्यायिक नहीं होता, वो हर फैसला अपने जातिवादी हितों को ध्यान मे रखकर देता है।*
*सुप्रीम कोर्ट में बैठे ब्राह्मण जज हर फैसला OBC, SC, ST, मुसलमान, सिख, ईसाई और बौद्धों के खिलाफ ही देते है..*
*न्यायाधिशों की नियुक्ति में कोलिजियम का सिद्धान्त दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देशों में नहीं है, वह केवल मात्र भारत वर्ष में ही है। इसका कारण यह है कि अल्पमत वाले ब्राह्मण लोग बहुमत वाले बहुजन लोगों पर अपना नियंत्रण बनाये रखना चाहते हैं। जो बहुमत है वह अपने हक-अधिकारों के प्रति धीरे-धीरे जागृत हो रहा है, इससे ब्राह्मणों के लिए संकट खड़ा हो रहा है। इस संकट से बचने के लिए न्यायपालिका मे बेठे ब्राह्मण न्यायपालिका का इस्तेमाल एससी एसटी ओबीसी और अल्पसंख्यक के विरुद्ध कर रहे है।*
*भारतीय हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट मे 80% जज ब्राह्मण जाति से है, और ब्राह्मण कभी न्याय का पर्याय नहीं हो सकता क्योंकि ये उसके DNA मे ही नहीं.....*
-:निवेदक:-
*अनुराग यादव अतुल*
*जिला सचिव*
*समाजवादी छात्रसभा-मऊ*
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*कम से कम 5 लोगो को शेयर करें*

जस्टिस कर्णन (मुलनिवासी) ने किया भ्रष्‍टाचारी सुप्रीम कोर्ट के ब्राह्माणवादी जजों के पर्दाफास - 100 करोर मुलनिवासी आगे बडो

ब्राह्माणवादी जार्ज ने दलित जस्टीस को अरेस्ट करने के वारंट दिया .. हमें Evm की तरह सुप्रीमकोर्ट व हाइकोर्टों को ब्राह्माणवादी जजों को भी भारत से भगाना ही होगा!ब्राह्माणवादी मुक्त भारत=विश्वगुरू भारत!
अगर आरोप सही तो अवमानना कैसे हो सकता है? बिना जाँच आरोप सही या गलत फैसला कैसे हो सकता है?
जस्टिस कर्णन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखकर ‘न्‍यायपालिका में भारी भ्रष्‍टाचार’ के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था। 23 जनवरी को लिखे गए पत्र में जज कर्णन ने ‘भ्रष्‍टाचारी जजों की शुरुआती सूची’ भी बनाई और सुप्रीम कोर्ट और उच्‍च न्‍यायालयों के 20 जजों के नाम उसमें शामिल किए।


शीर्ष अदालत और हाई कोर्ट के कई वर्तमान और रिटायर्ड जजों पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगाये जिस सुप्रीम कोर्ट ने बिना किसी जाँच के स्‍वत: संज्ञान लेने हुए अवमानना की कार्रवाई शुरू की है। इस के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया समेत सुप्रीम कोर्ट के सात वरिष्‍ठतम जज, कलकत्‍ता हाई कोर्ट जज सीएस कर्णन के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करना सुरु कर दिया।
जस्टिस कर्णन ने जो संगीन और गम्भीर आरोप न्यायपालिका पर लगाये है निश्चित रूप से विचारनीय है। यह आरोप और भी गम्भीर हो जाता है जब यह भारतीय न्यायपालिका के एक प्रमुख अंग ने ही इसके शीर्ष को जातिवादी बता दिया है। हाई कोर्ट के इस जज ने पूरी जिम्मेदारी से कई सारे वरिष्ठतम जजों पर आरोप लगाए हैं, तो यह पूरी तरह स्पष्ट होना चाहिए कि आरोप सही हैं या गलत।
जबकि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के कई पत्रों और बयानों का संज्ञान लिया है और उसी आधार पर कार्रवाई बिना की ठोस जाँच के अवमानना का कार्यवायी शुरू कर दिया है जो विधि संगत नहीं है।
हाई कोर्ट के किसी जज को सिर्फ संसद में महाभियोग द्वारा ही हटाया जा सकता है। ऐसी कोई भी शक्ति शीर्ष अदालत को नहीं है। इसलिए, शीर्ष अदालत के पास जो विकल्‍प मौजूद हैं, उनमें उनकी शक्तियों पर नियंत्रण संबंधी आदेश जारी कर स्‍वत: संज्ञान लेकर अवमानना कार्रवाई शुरू कर दिया है। जस्टिस कर्णन की न्‍यायिक शक्तियां वापस लेने और उन्‍हें कोई काम न देने का न्‍यायिक आदेश जारी करना भी शामिल है।
अगर जस्टिस कर्णन के लगाये गये आरोप सच्चे हों, तो क्या आरोप लगाने वाले के खिलाफ अवमानना का मामला अपने आप खारिज नहीं हो जाना चाहिए? परंतु इसके लिए जरुरी है कि लगाये गये आरोपों की जाँच हो। परंतु शीर्ष अदालत इन आरोपों की जाँच से क्यों बच रहा है। अच्छा होगा कि इस मुकदमे की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट अपने फैसलों की कसौटी सिर्फ और सिर्फ सत्य अर्थात जाँच के उपरान्त आये रिपोर्ट को ही बनाए। दोनों में से किसी भी पक्ष की तरफ से अगर तथ्यों को छुपाने की या मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश होती है तो न्यायपालिका की साख पर इसका सीधा बुरा असर पड़ेगा। दूसरी तरफ, अगर यह मामला दलित पहचान का अनुचित लाभ उठाने का है तो भी इस कारवाई होनी चाहिए।
परंतु सुप्रीम कोर्ट ने बिना किसी जाँच के स्वत: सज्ञान लेते हुए जस्टिस कर्णन के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही सुरु कर दिया है तथा इनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। इस जमानती वारंट को देने के लिए कर्णन के घर लगभग 100 पुलिस वाले पहुंचे थे। उनके साथ कोलकाता पुलिस आयुक्त भी मौजूद थे। लेकिन कर्णन ने वारंट लेने से इंकार किया दिया है।यहाँ सवाल यह भी है कर्णन के घर पुलिस आयुक्त के साथ 100 पुलिस वाले क्यों गये! क्या जस्टिस कर्णन कोई अपराधी है??
वही सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए थे और 10 हजार का पर्सनल बॉन्ड भी भरने के आदेश दिए थे। पश्चिम बंगाल के डीजीपी को वारंट की तामील कराने को कहा गया था। 31 मार्च से पहले जस्टिस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए गए थे। जस्टिस कर्णन अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद न तो पेश हो रहे है और नहीं अभी कोई जबाब दिए है। -संतोष यादव, अधिवक्ता, सर्वोच्य न्यायालय भारत & नेशनल प्रसिडेंट पी आई एल फाउंडेशन, दिल्ली 

डेडबॉडी के साथ रेप करके विकास पैदा कर्रेंगे ब्राह्माणवादी योगी - 100 करोर मुलनिवासी हैरान

गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ उर्फ अजय सिंह यूपी के नए सीएम होंगे. 
जितने विवाद योगी से जुड़े रहे हैं, 
उतने ही आपराधिक मामले भी उनके खिलाफ दर्ज हैं. 
जिनमें हत्या के प्रयास जैसे संगीन मामले भी शामिल हैं. 
उनके खिलाफ गोरखपुर और महाराजगंज में लगभग एक दर्जन मामले दर्ज हैं. 
जिनका जिक्र उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने हलफनामे में किया था.
योगी के खिलाफ धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने के मामले में आईपीसी की धारा 153 ए के तहत दो मामले दर्ज हैं.
इसके अलावा उनके खिलाफ वर्ग और धर्म विशेष के धार्मिक स्थान को अपमानित करने के आरोप में आईपीसी की धारा 295 के दो मामले दर्ज हैं.





उनके खिलाफ कृषि योग्य भूमि को विस्फोटक पदार्थ का इस्तेमाल करके नुकसान पहुंचाने के इरादे से कार्य करने आदि का एक मामला भी दर्ज है.



यही नहीं उनके खिलाफ आपराधिक धमकी का एक मामला आईपीसी की धारा 506 के तहत दर्ज है.
उनके विरुद्ध आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास का एक संगीन मामला भी चल रहा है.
और इसको सभा में मुस्लिम महिलाओं को कब्र से निकल कर बलात्कार करने की घोषणा हो रही है पर ये ख़ामोशी से समर्थन कर रहा है।#लानत_है



मंच पर मौजूद योगी आदित्यनाथ और उनके समर्थक अपनी भाषण में मुस्लिममहिलाओं को कब्र से निकालकर खुलेआम बलात्कार की बात कर रहे, और अब वही हैं उन महिलाओं के मुख्यमंत्री.

कब्र से मुस्लिम महिलाओं की लाश को निकालकर रेप करने का आह्वान मोदी के सांसद "योगी आदित्यनाथ" ने अपनी एक रेली में किया था !! और अभी कुछ दिनों पहले लाश के साथ रेप का एक मामला भी सामने आया है !! क्या हिंदू धर्म लाश के साथ रेप की शिक्षा देता है .. ये सवाल मेरा उन सभी हिंदुओं से है जो योगी आदित्यनाथ और आरएसएस को अपना रहनुमा मानते हैं !!

दंगाई ब्राह्माणवादी योगी आदित्यनाथ बने मुख्यमंत्री - शुद्र OBC केशव मौर्या के औकात पता चला

इसी को कहते है जातिवाद बढ़ाना
भाजपा का जातिवाद आज फिर साबित हुआ...
जातिय समीकरण साधकर मुख्यमंत्री ठाकुर योगी आदित्यनाथ ,उपमुख्यमंत्री ब्राह्मणदिनेश शर्मा और उपमुख्यमंत्री पिछड़े वर्ग से केशव प्रसाद मौर्या 


आखिर वही हुआ। संघ की पैदा हुई पार्टी में केशव मौर्या को बीमार होना पड़ गया। क्या समझे थे की सरदार बहुत खुश होगा और मुराव, कोहांर, बढ़ई के हाथ सत्ता रुपी बन्दूक थमा देगा। अरे मौर्या जी हेडगेवार ने 1926 में ही निनावे जैसे दलित को ब्राह्मण के बर्तन में अपने साथ बिठा कर खाने से मना कर दिया था। मौर्या जी भूल गए की आप् उसी निनावे के बंशज हो।
नज़ीर मलिक जी की वाल से
केशव प्रसाद मौर्या ने केंद्रीय मंत्री पंडित कलराज मिश्रा का हाथ पकड़ा तो कलराज ने न केवल हाथ झटक दिया, वरन डाँट भी पिला दी- ओबीसी होकर ब्राह्मण को छूते हो?
पंडितजी को अपवित्र कर दिया! सर्दी के दिनों में पंडित जी को तुरंत नहाना पड़ गया होगा!
"75" साल पार कर चुके पंडित जी को ठंड लग जाए तो कौन जिम्मेदार होगा?
 बड़े आए मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने वाले, दूर हटो! देखा नहीं, एक हाथ अमित शाह जी पकड़े हैं!!


1. मुख्यमंत्री .......अजय सिंह विष्ट उर्फ योगी आदित्य
नाथ ......ठाकुर.....क्षत्रिय
2. उप मुख्यमंत्री.....दिनेश शर्मा.....बामन......ब्राह्मण
3. उप मुख्यमंत्री....केशव मौर्या.....कोइरी.....शुद्र
4. उप मुख्यमंत्री.....?????........?????....वैश्य...
(खोज जारी)
बड़ी बिडंमना है ....…........
केशव .............3सरे नंबर पे.......
जय साम्राज्यवाद.......
समाजवाद रसातल में।

ब्राह्मण बोह्त खुस हुआ


Waman Meshram

महिला टीचर के अपमान: ब्राह्माणवादी मनोज तिवारी के खिलाफ मुलनिवासी प्रदर्शन

मनुवादी लोग अपने मा बेहेन के इज़्ज़त नही करता वो करेगा दूसरी औरत के सम्मान?
 हैं मनोज तिवारी! नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली से सांसद और इस वक़्त भाजपा के दिल्ली यूनिट प्रमुख भी! इस महिला शिक्षक ने उनसे गाने के लिए निवेदन क्या कर दिया, इन्होंने उसका बुरी तरह अपमान कर डाला और मंच से नीचे बैठ जाने के लिए कहते हुए एक्शन लेने की धमकी भी दे डाली! जनाब निवेदन को विनम्रता से भी मना कर सकते थे! 




याद रहे ये वही इंसान है जिसने कभी कहा था कि बिहार के लड़को को दिल्ली की लड़कियों से साथ उतना ही व्यवहार रखना चाहिए जैसे प्रसाद खाने के बाद पत्तल फेंक दिया जाता है! इन्होंने नोटबंदी के बाद लाइन में खड़े लोगों को बेवकूफ़ बनाते हुए मज़ाक भी उड़ाया था! वैसे तो ये हर जगह बिना कहे गाने के लिए तैयार रहते हैं लेकिन यहाँ इनके अन्दर घुसा सांसद वाला श्रेष्ठताबोध चोटिल हो गया! अपने घटिया गानों से भोजपुरी भाषा को बदनाम करने में इनका नाम गिना जायेगा आने वाले समय में!

5 अंबेडकरबादी गाना: ब्राह्माणवादी के होश उराने के लिए

5 ब्राह्मंबाद विरोधी गाना हर मुलनिवासी को सुनना चाहिए. youtube से कलेक्ट किया गया 5 खूबसूरत गाना जो मनुवाद के खिलाफ गया गाया.. मेनस्ट्रीम कलाकार हमेशा ब्राह्माणवाद हे फेला ता है.. लेकिन देश भर मे शुरू हो गया मनुवाद के विरोध मे संग्राम ओर इसी के चलते बोह्त से मुलनिवासी सिंगर सोशियल मीडीया के ज़रिए अपना पकड़ बना रहा है..

फिल्म : शुद्रा - थे राइज़िंग
बॅनर : रुद्राक्ष अड्वेंचर पवत्. ल्ट्ड.
डाइरेक्टर : संजीव जायसवाल
सिंगर : जान निस्सर लोन & रानी हज़ारीका
म्यूज़िक : जान निस्सर लोन
लिरिक्स : शिव सागर सिंग



बेस्ट आंटी हिंदू स्पीच बाइ ambedkar


पंजाबी सॉंग ओं ड्र. बबसाहेब अंबेडकर बाइ गिननी माही



डॉ आंबेडकर की बेटी का सुपर रैप सांग (गाना) ब्राह्माणवाद पे वार



मराठी मुलनिवासी गाना