मुस्लिम फ़क़ीर साई बाबा (मुलनिवासी) ने चलाया था ब्राह्माणवाद के खिलाफ लड़ाई - मनुवादी उसे भगवान बना दिया

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साई बाबा के हर मंदिर मे ब्राह्मण हे क्यू पुजारी बनता है..सोशियल मीडीया मे हार ब्राह्मणवाडी लोग साई बाबा के मुस्लिम होने के दावा करता है.. साई मंदिर के धनराशि मे ब्राह्मानो का कोई हक़ नही है..जीतने किलो सोना चाँदी है वो सब मुलनिवासी के विच बाँट देना चाईए..
मनुवादी के खिलाफ जो भी लड़ाई की है उसे पहले मरके उसके मंदिर बनके भगवान बना देता है, फिर मंदिर से पैसे कमाते है,,जैसे गौतम बौध ने ब्राह्मानो के खिलाफ लड़ाई की तो बौध को विसनु के अवतार बना दिया..और दलाई लामा मोहन भागवत के साथ मलाई खा रहा है

फ़ेसबुक से हमारा टीम ने उन सभी ब्राह्मानो के आंटी साई बाबा पोस्ट के स्क्रीन शॉट कलेक्ट किया..आब आप हे सोचो क्या ब्राह्मानो का कोई अधिकार है साई बाबा के मंदिर मे पुजारी बनने का???







१ : साई बाबा सारा जीवन मस्जिद मे रहे 
एक भी रात उन्होने किसी हिंदू मंदिर मे नही गुज़ारी 
२ : अल्लाह मालिक सदा उनके ज़ुबान पर था वो सदा अल्लाह मालिक पुकारते रहते 
 ३ : रोहीला मुसलमान आठों प्रहार अपनी कर्कश आवाज़ मे क़ुरान शरीफ की कल्मे पढ़ता और अल्लाह ओ अकबर के नारे लगाता परेशान होकर जब गाँव वालो ने बाबा से उसकी शिकायत की तो बाबा ने गाँव वालों को भगा दिया .( अध्याय ३ पेज ५ )
४ : तरुण फ़क़ीर को उतरते देख म्हलसापति ने उन्हे सर्व प्रथम " आओ साई " कहकर पुकारा .(अध्याय५ पेज २ )
नोट : मौला साई मुस्लिम फ़क़ीर थे और फ़क़िरो को अरबी और उर्दू मे साई नाम से पुकारा जाता है .साई शब्द मूल रूप से हिन्दी नही है
५ : मौला साई हमेशा कफनी पहनते थे .(अध्याय ५ पेज ६ )
नोट : कफनी एक प्रकार का पहनावा है जो मुस्लिम फ़क़ीर पहनते हैं
६ : मौला साई सुन्नत(ख़तना) कराने के पक्ष मे थे . (अध्याय ७ पेज १ )
७ : फ़क़िरो के संग बाबा माँस और मछली का सेवन भी कर लेते थे .(अध्यया ७ पेज २)
८ : बाबा ने कहा "" मैं मस्जिद मे एक बकरा हलाल करने वाला हूँ हाज़ी सिधिक से पूछो की उसे क्या रुचिकर होगा बकरे का माँस ,नाध या अंडकोष " (अध्याय ११ पेज ४ )
नोट : हिंदू संत कभी स्वपन मे भी बकरा हलाल नही कर सकता .न ही ऐसे वीभत्स भोजन खा सकता है
९ : एक बार मस्जिद मे एक बकरा बलि चढाने लाया गया तब साई बाबा ने काका साहेब से कहा "" मैं स्वयं ही बलि चढाने का कार्य करूँगा "(अध्याय २३ पेज ६)
नोट : हिंदू संत कभी ऐसा जघ्न्य कृत्य नही कर सकते .
१०: बाबा के पास जो भी दक्षिणा एकत्रित होती उसमे से रोज पचास रुपये वो पीर मोहम्म्द को देते. जब वो लौटते तो बाबा भी सौ कदम तक उनके साथ जाते .(अध्याय २३ पेज ५ )
नोट : मौला साई इतना सम्मान कभी किसी हिंदू संत को नही देते थे .रोज पचास रुपये वो उस समय देते थे जब बीस रुपया तोला सोना मिलता था .मौला साई के जीवन काल में उनके पास इतना दान आता था आयकर विभाग की जाँच भी हुई थी
११ : एक बार बाबा के भक्त मेघा ने उन्हे गंगा जल से स्नान कराने की सोचा तो बाबा ने कहा मुझे इस झंझट से दूर ही रहने दो .मैं तो एक फ़क़ीर हूँ मुझे गंगाजल से क्या प्रायोजन .(अध्याय २८ पेज ७ )
नोट : किसी हिंदू के लिए गंगा स्नान जीवन भर का सपना होता है .गंगा जल का दर्शन भी हिंदुओं मे अति पवित्र माना जाता है
१२ : कभी बाबा मीठे चावल बनाते और कभी माँस मिश्रित चावल (पुलाव )बनाते थे (अध्याय ३८ पेज २)
नोट : माँस मिश्रित चावल अर्थात मटन बिरयानी सिर्फ़ मुस्लिम फ़क़ीर ही खा सकता हैं कोई हिंदू संत उसे देखना भी पसंद नही करेगा .
१३ : एक एकादशी को बाबा ने दादा केलकर को कुछ रुपये देकर कुछ माँस खरीद कर लाने को कहा (अध्याय३८ पेज३ )
नोट : एकादशी हिंदुओं का सबसे पवित्र उपवास का दिन होता है कई घरो मे इस दिन चावल तक नही पकता .
१४ : जब भोजन तैयार हो जाता तो बाबा मस्जिद से बर्तन मंगाकर मौलवीसे फातिहा पढ़ने को कहते थे(अध्याय ३८ पेज ३)
नोट : फातिहा मुस्लिम धर्म का संस्कार है
१५ : एक बार बाबा ने दादा केलकर को माँस मिश्रित पुलाव चख कर देखने को कहा .केलकर ने मुँहदेखी कह दिया कि अच्छा है .तब बाबा ने केलकर की बाँह
पकड़ी और बलपूर्वक बर्तन मे डालकर बोले थोड़ा सा इसमे से निकालो अपना कट्टरपन छोड़कर चख कर देखो (अध्याय ३८ पेज४ )
नोट : मौला साई ने परीक्षा लेने के नाम पर जीव हत्या कर एक ब्राहमण का धर्म भ्रष्ट कर दिया किंतु कभी अपने किसी मुस्लिम भक्त की ऐसी कठोर परीक्षा नही ली।
⚔⚔आज़ाद सेवा संघ रजि⚔⚔

2 comments:

  1. Yes bro this is right
    Sai Baba
    muslim
    the

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    1. Tu bhangi.... tujhe baat samajh me nahi aayi.... is liye agyan ka beej bo kar jaa raha hai...... lekhak ne kya kaha hai us baat ko samajh

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